Saturday, June 12, 2010

भीगी हुई ! !


बारिश मुझे पसंद नही........

सवाल हुए.......क्यों ??
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सबसे प्यारे मौसम में
जब बारिश अपनी ताज़गी से
सभी को भिगोति नज़र आती है....

सौंधी-सौंधी खुश्बू से मन
ललच उठता है और.....जब
छोटी-छोटी बूँदें बदन पे
फिसलती हुई गुदगुदती है....

खिल के – खुल के हसने के हज़ारों
वाजिब वजह मिलते हैं !! :)
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पत्ते मानो "make-over" के बाद
स्याने और खूबसूरत हो जाते हैं

समंदर, दरिया और नदिया.....खेलते,
मचलते और शोर मचाते हैं

चाँद-सितारे, छुप-के अँधियारे में
दूर कहीं.....आराम फरमाते हैं

बिजली ज़ोर-ज़ोर से
गरज-गरज के......डराते हैं ! :)
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छटरियाँ............ रंग-बिरंगी
पकोडे............... तीखी-तीखी
कॉफी................ गरम-गरम
गप-शप............. नरम-नरम
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यह सब......... :)


लेकिन,
बारिश मुझे पसंद नही........
बारिश मुझे पसंद नही........
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बारिश में खूबसूरत दिखाई देती भीगी-भीगी सी ज़मीन
मानो मुझे जलाती हैं, एहसास दिलाती हैं;

“दो, एक-से दिखते नज़ारे, लेकिन जिनके मायने बिल्कुल एक दूसरे से परे”

जहाँ एक तरफ, बारिश एक नयी शुरुआत का प्रतीक है,
वहीं,
सालहासाल भीगी हुई मेरी आँखें
सब ख़त्म होने का अंदेशा है.....

वो थक सी गई हैं अब
एक नये से मौसम के इंतेज़ार में...

जब बहते हुए आँसू “खुशी-वाले” हो जाए
और भीतर एक नयी उमंग, चाहत और एक नया ख्वाब
का जन्म हो !!


इंतेज़ार है, बस इंतेज़ार !

5 comments:

achala nupur said...

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सच ही कहते हो Ajay.... :)

~~
यह सब जब मैं लिख रही थी, मेरे आस-पास हल्की-हल्की बारिश हो रही थी....खूबसूरत रात धीरे-धीरे अपने जाने का इंतेज़ार कर रही थी......
मेरे आस-पास बिखरे हुए काई सुन्दर नज़ारे थे !
:)

बस, मैने अपनी उड़ती हुई विचारों को एक घर दे दिया....

---- और इन सब के बीच मुझे एहसास है; कोई बहुत करीबी था, जो मुस्कुराता हुआ मुझे यह सब करता देख रहा था..... :)

मैं खुश हूँ, बहुत खुश ! ~~
:)

Anonymous said...

I like this poem. It is extremely creative. I have to admit I don't get every line, but I do understand the gist of a verse. You know how good (or not good) my Hindi is ;-) Keep up the good work.. ! I wish I knew half the Hindi you know ! It is such a beautiful language, especially to express feelings.

Nice theme to suit the weather :)

achala nupur said...

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Thanks Preeti !
yur views matters a lot :)

n yep, "HINDI" sure is a beautiful language.....some feelings are best expressed through it :)

so, I too attempted this time to settle my wandering thoughts in Hindi and i loved the way it shaped up.... ! ~~~

it was emoted to present a contrast of situations; similar in appearance but which contradict each other in all ways....!!

~~~~
trying to incorporate more "HINDI" versions in my future blogs !
:)
Thanks, again for the heartening comments !! ~

Common citizen said...

...

बारिश मुझे भी पसंद नही........


Ustad Jouk ka sher hai, sayad tumje pasand aaye:

अब तो घबरा के ये कहते हैं कि मर जायेंगे
मर गये पर न लगा जी तो किधर जायेंगे

हम नहीं वह जो करें ख़ून का दावा तुझपर
बल्कि पूछेगा ख़ुदा भी तो मुकर जायेंगे||


........
But God created life imbued with everlasting, never-ending hope... So there is always hope that tomorrow will be a better day!


With affection....
Rajnish

Daddu said...

मैं नहीं जनता की मैं इस ब्लॉग तक कैसे आ गया ...शायद उस्ताद जौक को तलाशते हुए
मिल गयी ये भींगी हुई सी कविता .....
अच्छी लगी बिलकुल नए से रूप में
कविता का Makeover...

कुछ ऐसी ही....

बारिश....
शुरू हुई जैसे आखें नम सी
दिल भी कुछ पसीजा सा
फिर
ख्याल
कई रंग के
बेतरतीब से बहते हुए
उस बारिश के पानी में
कुछ भरी से ख्याल
डूब गए
कुछ बह गए
फिर दिल हल्का हुआ
आखें थम गयी
बारिश थम गयी.....
सच में बारिश थम गयी.....