यह बर्फ से सफेद पानी
काले चमकते पत्थरों के बीच
मनमोहन दृश प्रदान कर रहे हैं
लेकिन, ज़रा ध्यान से देखो तो
बड़े मज़े की चीज़ मालूम पड़ती है :)
क्या कभी उस बेरंग-उदास सीधे बहते पानी को यह उछाल, सफेदी और उमंग मिल पाती,
अगर, वो काले, बड़े-बड़े पत्थर ना होते.......?
एक मुस्कान के साथ यह "Post" लिख रही हूँ, क्यों कि मैं भी रुक गयी हूँ, पत्थर के सामने,
अपने उमंग और सही रंगों की पहचान करने के लिए ! :)
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