Saturday, February 2, 2013

Savouring Cookies....! :)



'Cookies' draw my attention all the time...the rich brown textured color, crispy-ness, cracked lines meandering through-out the floor of the cookie, its delicate and crumbling existence, all make my heart go circular.....literally :)

This Saturday afternoon, I indulged into eating cookies, BiG round cookies, filled with chocolate, butter n sugar.
AHH-hhh!

With eyes closed and heart pacing for more, I was not at all inclined to stop... :P

Then I stopped n settled myself for a second....only to discover that the last cookie I indulged into, gifted me a “SmiLe” apparently noticeable on my face, which lasted for long......!


पलकें....!! :)


   टक-ट-की लगा कर मत देखो मुझे
पलकें मूँद लो....धीरे से

मैं पलकों के झपकने के बाद दिखाई देती हूँ....

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Wednesday, January 30, 2013

आदतें....!



आदतें मेरी-तुम्हारी कितनी मिलती जुलती थी
बिल्कुल एक जैसी ही....


मध्यम-मध्यम लय में, एक जैसी साँस लेने की आदत
एक दूसरे की खनकती हुई बातों में, एक जैसे हँसने की आदत

बिखरते हुए ख़ुश्बू को, एक जैसे समेटने की आदत
पुरानी कोई धुन पे, एक जैसे गुनगुनाने की आदत

चाँद को पूरा खिलता देख, एक जैसे मुस्कुराने की आदत
सीधे रास्ते पे चलते हुए, एक दूसरे के हातों को, एक जैसे पकड़ने की आदत

दीवार पर लगी तस्वीर को, एक जैसी टकटकी लगा कर देखने की आदत
दूर रहकर भी, घड़ी-घड़ी एक दूसरे को, एक जैसा ही प्यार जताने की आदत

बिना शब्दों के कहे, खामोशी की आवाज़ से, मन के हाल को, एक जैसे जानने की आदत
और कभी एक ही लव्ज़ कहकर, अधूरा को, एक जैसा पूरा करने की आदत


लेकिन,
इस नये मौसम में लगता है मानो......आदत मेरी-तुम्हारी बदल सी गयी है

आदतें एक सी नही होती....

क्योंकि,
आदत अनुसार, मैने कई खत लिखे हैं तुम्हें.....
तुम्हारी जवाब देने की आदत छूट गयी है शायद.......

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Sunday, January 13, 2013

इच्छायें...! :)




‘तीन’ इच्छायें मेरी पूरी कर दो:


पहली:
बंद आँखों से 
तुम्हें जी भर कर,
टटोल-टटोल कर महसूस करूँ


दूसरी:
तुम्हारे सीने से लग कर,
अपने खुले कानों से, 
तुम्हारी अनकही कहानियाँ सुनूँ


ना....ऐसे में मैं कुछ भी 
अपने होटो से कहना नही चाहती :)




आखरी:
तुम्हारे मेरे आस-पास होने के 
ज़ायक़े में, मीठी
मुस्कुराहट के रस में, 
खुद को डूबोई रखूँ......:)

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साँस....!!


कुछ 'थोड़ा' पाने की आस में
कुछ 'ज़यादा' भाग रही थी मैं

आज,
ना जाने, क्या हुआ मेरे भीतर, कि

कुछ 'ना' पाने के लिए,
कुछ 'भी ना' पाने के लिए
कुछ थम सी, कुछ अचल सी, हो रही हूँ मैं

पहले भागते हुए भी, साँस मध्यम-मध्यम चल रही थी
आज
थम कर भी,
साँस की तेज़ लय को, रोक नही पा रही......

ये साँस ना जाने कैसे थमते हैं....!!

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खामोशी...!!


कुछ भी 'खामोश-सा' नही होता
कुछ भी 'खामोशी' से नही होता
'खामोशी' ब्रह्म है एक, अपने भीतर एक चीखती और चिल्लाती हुई शोर को दबाए.....


तुम भी तो, 'खामोशी' से, दबे पाव.....जा रहे थे
है ना !!
अपने पीछे, सब छोड़ते हुए.....

एक थमने को बेकरार आँसू की कतार 
बारीकी से साथ में गुज़ारे लम्हात
परछाईयों को टटोलते से दो हाथ
रेत पे फिसलते हुए अनगिनत अरमान
तितलियों जैसे पक्के रंगों में उभरते ख्वाब
तेरी खुश्बू समेटे दरो-दीवार 

और.......
मेरी धड़कानों से नही, तुम्हारे इंतज़ार के कदमों से चलती हुई धीमी-धीमी सी साँस


'खामोशी' से जलता, पिघलता सा...
शांत प्रतीत होता यह दीप भी....
ब्रह्म है कोई....
अपने भीतर बहुत कुछ समेटे हुए....
चुप-चाप....!!

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