दो बीघा आसमान !
दो बीघा.......सिर्फ़ दो बीघा आसमान
दिला दो ना मुझे :)
एक-एक अठन्नी, जोड़ जोड़, जिसकी कीमत
मैने हो चुकाई.......
बड़े प्यार से, अपनी “पिग्गी बॅंक” जब
मैने टुड-वाई !
चाँद सा सफ़ेद, हो जो
सोने जैसा खरा.....
दीवारें उसकी पंख जैसी, और
बादलों से हो भरा :)
दरवाज़े पे, नक्काशी हो मनमोहक
और उस पर.....नाम लिखा हो मेरा
भीतर आते ही, आए खुशबू
सीटी, सू-सू गाए.....और खाने को
ललचाए......दिल मेरा :)
रंग बिरंगे, हवा में, झूमते पर्दे
धीमे से, जो गिरा दे तुम्हें.....
मखमली सी...........
आवारा बिस्तरे पे :)
गुद-गुदाते तकिये से फिर, दोस्ती हो जाए
सारे ज़माने के 'जोक्स' याद आ जायें.....
ग़ुब्ब-आरे सा मन, गद-गद हो जाए
और धीमे-धीमे, मीठी नींद, तुम्हें आ जाए !
'भोर', तुम्हें आहिस्ता-आहिस्ता, जगाए
डाल पे बैठ, छोटी-छोटी चिड़िया,
चू-चू कर, कहानियाँ सुनाए......
फूलों की क्यारियाँ हो, बिखरी
यहाँ-वहाँ
हो बड़ा सा एक, झूला भी
पानी में तैरती, मनचली मछलियाँ....
यह सब.....
मिलकर हैं बनाते....
एक खूबसूरत घर....
मेरे दो बीघा आसमान......पर !!
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3 comments:
aa toh rahi hai....:) bat hi baat
yeh blog post bas "ek kavita" nahi, balki ek bahut sunder ehsaas hai !
Ek ehsaas, jise maine, abhi kuch dinon pehle, hi adopt kiya hai :)
n as they say;
"......and they lived happily ever after !"
:)
>>>
thanks Rupa n Ajay !
- ek maze ki baat aur:
'agar dhyaan se yeh blog-post padho, toh tumhein maaloom hoga......ki saari baatein ho maine likhi hain, vo sab mere aas-paas hi saans le rahi hai......"
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