Sunday, January 13, 2013

साँस....!!


कुछ 'थोड़ा' पाने की आस में
कुछ 'ज़यादा' भाग रही थी मैं

आज,
ना जाने, क्या हुआ मेरे भीतर, कि

कुछ 'ना' पाने के लिए,
कुछ 'भी ना' पाने के लिए
कुछ थम सी, कुछ अचल सी, हो रही हूँ मैं

पहले भागते हुए भी, साँस मध्यम-मध्यम चल रही थी
आज
थम कर भी,
साँस की तेज़ लय को, रोक नही पा रही......

ये साँस ना जाने कैसे थमते हैं....!!

~~~

1 comment:

Rupa said...

Achala, 1 poetry book toh banti hai...

Pakka...